कभी खिलता कभी मुरझाता है,
हल्की हवा से गिर जाता है।
कभी खुशबू है,
कभी कीचड़ में मिलता है।
रंगों से पहचान है होती,
छोटे बड़े का भेद भी है होता।
सब कुछ इंसानों सा है होता,
फूलों जैसा हो गया है जीवन सबका।
– मनीषा कुमारी
कभी खिलता कभी मुरझाता है,
हल्की हवा से गिर जाता है।
कभी खुशबू है,
कभी कीचड़ में मिलता है।
रंगों से पहचान है होती,
छोटे बड़े का भेद भी है होता।
सब कुछ इंसानों सा है होता,
फूलों जैसा हो गया है जीवन सबका।
– मनीषा कुमारी