बैठी तो रहती नहीं
और आपसे कुछ कहती नहीं…
बात छोटी सी है
हम आपको जानते नहीं….
इसलिए आपके बारे में,
कुछ कहते नहीं
कुछ पल रहना हो जहाँ,
वहाँ खुशियाँ फैलानी चाहिए।
तीख्खे वचनों से,
रिश्ता तिख्खा नहीं करना चाहिए।
– मनीषा कुमारी
बैठी तो रहती नहीं
और आपसे कुछ कहती नहीं…
बात छोटी सी है
हम आपको जानते नहीं….
इसलिए आपके बारे में,
कुछ कहते नहीं
कुछ पल रहना हो जहाँ,
वहाँ खुशियाँ फैलानी चाहिए।
तीख्खे वचनों से,
रिश्ता तिख्खा नहीं करना चाहिए।
– मनीषा कुमारी
हँसी भी कमाल की चीज़ है,
किसी के सामने
बेमतलब मुस्कुरा के देखो ज़रा
वो इंसान सोंच में चला जाता है
नहीं चाहता कुछ
फिर भी किसी से
हाल चाल पूछ जाता है।
बेमतलब का ख्याल करना,
बस उसी वक्त आता है।
– मनीषा कुमारी
नाज़ुक दौर तो सबका होता है,
उससे गुज़र सबको
आगे बढ़ना पड़ता है।
कोई आगे बढ़ जाता है,
तो कोई पीछे छूट जाता है।
जाने कोई क्यों,
कुछ चीजों से
उभर ही नहीं पाता है।
कभी हँसता है,
तो कभी रोता है।
कोई तो, दुनिया को
हर नज़र से देखते हैं
कुछ तो एक ही पल में
हार मान जाते हैं।
दुनिया उतनी छोटी नहीं
जितनी जल्दी लोग
हार मानते हैं।
एक बार प्रकृति के बारे में
जानना शुरू करो
देखना हार मानना भूल जाओगे।
– मनीषा कुमारी
प्रकृति की प्रेम कहानी
है बहुत सीधी – साधी,
लेकिन ये कहानी,
किसी किसी को ही
समझ मे है आती।
कण कण को बटोर कर,
कभी कोई चीज़ बनाती।
कभी पल में ही किसी,
पहाड़ को मिट्टी में है मिलाती।
प्रकृति की प्रेम कहानी
है बहुत सीधी साधी,
लेकिन ये कहानी
किसी को ही
समझ मे है आती।
– मनीषा कुमारी
लिखने को शब्द,
लिखने कागज़ कम पड़ते हैं।
सच तो ये है कि,
कम कुछ भी नहीं पड़ता बस,
लिखने को ख्याल कम पड़ते हैं।
– मनीषा कुमारी
जिंदगी इम्तिहान बन गयी,
पल पल की कहानी गढ़ रही,
हर वक्त सवाल पूछ रही,
जवाब में,
अच्छे बुरे का बंधन बना रही।
सवालों के पुलों से गुज़र,
जब जवाब तक पहुँचते हैं,
पहुँचने से पहले ही,
पुल गिरते अपने भारों से,
लगता है जिंदगी,
इम्तिहान नहीं,
कसरत करवा रही।
– मनीषा कुमारी
हर कहानी के पीछे
एक राज़ है,
अपनी कहानी में,
हम ही नज़रअंदाज़ हैं।
सोने से मन को
पीतल ठहरा दिया,
चांदी सा मन,
अब सोना हो गया।
हर कहानी में हर कोई,
अजूबा हो गया।
केहने को बारिश ,
यहाँ तूफाँ आ गया।
किसी की जिंदगी,
बातों से तय हो गयी।
कुछ को तो,
मगरमच्छ पे तरस आ गया।
पेंगुइन तो यूँ ही बदनाम हो गया,
केहने को कहानी,
यहाँ पूरा चलचित्र बन गया।
– मनीषा कुमारी
कला कला की नज़र से देखना ही सही है जो कला को धंधा मान के चलते हैं और जो लोग अपनी कला के ज्ञान को सीमित रखते हैं उनका आगे बढ़ पाना थोड़ा मुश्किल होता है।
– मनीषा कुमारी
कभी- कभी कुछ बातों का,
ख्याल ही नहीं रहता।
जिंदगी में कुछ लोगों का,
पता ही नहीं चलता।
दूसरों का दर्द भी
अब अपना सा लगता है।
काम तो हर समय
चलता ही रहता है,
लेकीन ख्यलों का सीलसीला भी
कभी खत्म नहीं होता।
आज कल ख्याल कहीं
गूम सा हो गए।
चलते – चलते रास्तों के
पते ही खो गए।
– मनीषा कुमारी
नमन है सभी को,
सब मज़दूरों को,
सब भाईयों को
और सब बहनों को।
उस हर व्येक्ति को,
जो देश के लिए
काम करे।
अपना चैन खोकर,
अपने देश पर मरते हों।
नमन है सबको,
सब मज़दूरों को।
– मनीषा कुमारी