नदियों की धारा कैसे,
उलट पुलट जाती है।
सालों से एक ही जगह,
चलते चलते जैसे
वो ऊब सी जाती है।
बिल्कुल विचारों सी हैं नदियाँ,
कभी तेज़ कभी धीमी होती हैं।
हर नदी,
विचारों की तरह ही,
बहती रहती है।
– मनीषा कुमारी
नदियों की धारा कैसे,
उलट पुलट जाती है।
सालों से एक ही जगह,
चलते चलते जैसे
वो ऊब सी जाती है।
बिल्कुल विचारों सी हैं नदियाँ,
कभी तेज़ कभी धीमी होती हैं।
हर नदी,
विचारों की तरह ही,
बहती रहती है।
– मनीषा कुमारी
4 replies on “विचारों की नदियाँ”
Jis trah kuch nadiya pawan or pavitra hoti hai… Or kuch ghatak or shoke mani jati hai….
Usi trah hamre vichaar hai…. Kuch pavitra or kuch maile….
Hame apne under vichaaro ki aisi nadi bahani hai… Jo swachh pawan or pavitra ho… 😊
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बिल्कुल सही कहा आपने👍👏
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Very nice post Manisha.
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Thanku vry much
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