Tag: nature
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गुणों का नाश
दो दिन में युँ जिन्दगीयाँ बदल जाती हैइस पल कुछ औरदूसरे ही पल कुछ औरये जीन्दगी धूंधली सी नजर आती है।कुछ ही पलों में,जमीन – आसमाँ का अन्तर आ जाता।जल्दबाज़ी से गुणों का,फासला आजाता है।गुण बनते हैं धीमी आँच पे,जल्दबाज़ी से तो गुणों कानाश ही होता है। – मनीषा कुमारी
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दिल का परिंदा
परिंदों सा दिलगया है मिलजा कर कहीं, फूलों में खिल। देखने को मुड़ा कोई,कहानी बनी नई,दिल में हल चल हुई कोई नई जा कर देखा, है किताबों की लड़ी,दिल में एक खुशी सी उमड़ी,सारी खुशियाँ हो जैसे, उसी में जड़ी। – मनीषा कुमारी
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आसमाँ से सूरज
आसमाँ से सूरज,ढ़लता हुआ देखा।किसी को,किसी की तरफ जाते हुये देखा।आना जाना तो,हर किसी को था।लेकिन दो खाबों का मिलना,भी ज़रूरी था।उन विचारों को मिलना,भी ज़रूरी था।रास्ते तो हर जगह हैं,लेकिन खुद कोखुदसे मिलाना भीज़रूरी था।आना जाना शब्दों का,लगा ही रहता है।देखने को मंजिल,अधूरा ही रहता है।दुनिया की हर चीज़,अधूरी ही तो है।बस पूरी करने […]
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कभी – कभी हम…
कभी – कभी हमकुछ बोल के भी,बोल नहीं पाते।रोकना है किसी को,लेकिन रोक नहीं पाते।बातें बहोत सी है कहने को,बस कह नही पाते।रोने के सिवा ,कभी – कभी कोई चारा नहीं होता।गुस्सा करने काकोई फायदा नहीं होताकुछ बातें भूल के भी भूल नहीं पाते।जीने को जी लेते हैं,कहने को कुछ बोल नहीं पाते। – मनीषा […]
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जिंदगी की प्लेट में
जिंदगी की प्लेट में,व्यंजन कई देखें।कभी खट्टे कभी मीठे देखेकड़वाहटों से भरे भी,कई व्यंजन मिले,लेकिन उन कड़वाहट वालेव्यंजनों ने,मजबूती के ही पोषण दिए। – मनीषा कुमारी
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आखरी पन्नों की बातें
कहानी किसी की,कभी पूरी नही होती।रह जाती हैं,कई बातें अधूरी।बातें किसी की,पूरी नही होती।आखरी पन्नों की,बातें भी कभी – कभी,दूसरे किताबों से शुरू है होती। – मनीषा कुमारी
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विचारों की नदियाँ
नदियों की धारा कैसे,उलट पुलट जाती है।सालों से एक ही जगह,चलते चलते जैसेवो ऊब सी जाती है।बिल्कुल विचारों सी हैं नदियाँ,कभी तेज़ कभी धीमी होती हैं।हर नदी,विचारों की तरह ही,बहती रहती है। – मनीषा कुमारी
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फीकापन
फीकापन है सूनापन,लेकिन सब कुछसूना होना भी अच्छा है।अपने और दूसरों के बारे मेंपता तो चलता है। फीकापन भी अजीब दवा है,अच्छा तो नहीं लगता,लेकिन सब कुछसही कर देता है। जिंदगी में फीकापनखुद से मिलाता हैऔर खाने में फीकापनस्वास्थ्य ठीक करता है। – मनीषा कुमारी
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कभी फूलों को देखा…
कभी फूलों को देखा है,खिलता हुआ?फिर भी खिल जाता है।बस वैसे ही मेहनत करोगेतो ही सफल होगेक्यूँकि दुनिया,तुम्हारी मेहनत नहींसफलता देखेगी। – मनीषा कुमारी
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तपती दुपहरी
तपती दुपहरी में लोग,तरसते बहुत हैं।आने जाने में लोग,हिचकिचाते बहुत हैं।इस दुपहरी में,लोग चकराते बहुत हैं।जिसे हुआ जुखाम,वे राहत पाते हैं।इस तपती दुपहरी को,वे दुआ देते बहुत हैं। – मनीषा कुमारी