
वक्त बहुत अच्छा मरहम है…..

कठिन है रास्ता
मगर, हम ढूंढ ही लेंगे
जिंदगी के हर मोड़ को
आसानी से हम
मोड़ ही देंगे
अपनी सोंच से
अपनी दुनिया ही बदल देंगे।
एक दिन हम अपना ही
इतिहास रच देंगे
जीवन जीने को
हम नया रुख देंगे।
– मनीषा कुमारी
परेशानियाँ नहीं थी वजह,
लिखने की।
लेकिन श्रेय,
परेशानियों को देती रही।
ढूंढ – ढूंढ के परेशान होती रही,
परेशानियों को।
कला खुद में थी,
और भटकती रही,
दुख की गलियों में।
चार साल में अब समझी,
की भावनाएँ दिल का खिलौना है।
जब चाहे जैसे चाहे
भावों को डालो।
चाहो तो हर पल खुश रहलो
और चाहो तो,
हर वक्त दुख के सागर में डुबो।
– मनीषा कुमारी
दो दिन में युँ जिन्दगीयाँ बदल जाती है
इस पल कुछ और
दूसरे ही पल कुछ और
ये जीन्दगी धूंधली सी नजर आती है।
कुछ ही पलों में,
जमीन – आसमाँ का अन्तर आ जाता।
जल्दबाज़ी से गुणों का,
फासला आजाता है।
गुण बनते हैं धीमी आँच पे,
जल्दबाज़ी से तो गुणों का
नाश ही होता है।
– मनीषा कुमारी
आज एक इंसान को देख,
शेर घबरा गया।
बोला में सिर्फ
जंगल में राज़ करता हूँ,
सामने तो दुनिया पर
राज़ करने वाला आ रहा
उस इंसान को देख
शेर भी सीधा चलना सीख गया।
उस शेर ने अब,
बोलना छोड़ दिया।
– मनीषा कुमारी
हर दिन, हर रात बदलते हैं,
वक्त बदलता है,
मौसम बदलता है,
हर साल के साथ,
हम भी बदल गए।
जैसे जैसे हम बड़े होते गए,
हमारी सोंच भी बदलते गए।
– मनीषा कुमारी
जिंदगी बहुत कीमती है, हर वक्त हर कोई बस जीने के लिए कार्य करता है। हर कोई बस इसी कोशिश में लगा रहता है कि वो अपने जीवन को और बेहतर कैसे कर सकता है। जैसा कि आप विषय में देख सकते हैं यहाँ पर कुछ किश्तों की बात की गई है।
यहाँ पर किश्तों से मतलब बैंकों की किश्त नहीं है बल्कि जिंदगी के किश्तों से है। यानी समय समय पर जो समस्याएँ आती है वो जिंदगी की किश्त ही तो है। जिसे हमें समय समय पर हल करनी यानी चुकानी पड़ती है। जिंदगी बिना समस्याओं की तो होती ही नही। हर समय कोई न कोई समस्या हमे घेरे रहती है। और जो इन समस्याओं को हल कर के वे सकारात्मक सोंच से समस्याओं को तोड़ देता है। वो ही सही मायने में जिंदगी की किश्त भर पाता है।
जो इन किश्तों को समय समय पर भर पता है बस वही सुखी रह पाता है। इसिलए बैंकों के किश्तों भरना न भरना आपकी मर्जी है। लेकिन किश्तों में जिंदगी गुजारना जरूरी है।
इसका मतलब ये नही की आप परेशानियों से घिरे रहे। इसका मतलब है अपने आप जो समस्याएँ आती हैं उसे हल करना है।
– मनीषा कुमारी
दिन रात सोंचना,
भागदौड़ फिर सोंचना,
कभी खुश होना,
कभी रोना,
कभी कभी,
गुस्सा न बर्दाश्त होना,
चलना फिर रुक जाना,
सारे लक्षण हैं हमसे,
भावों की पकड़ का न होना।
भावों की पकड़ में इंसान,
बहोत शांत होता है।
भावनाओं में बहने से,
इंसान ही बह जाता है।
शांत से अशांत होजाना,
सारे लक्षण हैं हमसे,
भावों की पकड़ का न होना।
– मनीषा कुमारी
सोशल मीडिया और प्रेम का तो पता नही,
लेकिन सोशल मीडिया से प्रेम ज़रूर देखा।
कभी रात भर जागे,
कभी दिन भर ताकते रहे इसे।
हर भाव में इसे निहारा,
कभी संग बहुत समय बिताया।
कभी नेट धीरे होने से,
पूरा दिन मन लगा के काम किया,
नही तो सिर्फ उसके प्यार में डूबा ही देखा।
– मनीषा कुमारी
मंजिल से भटकना भी,
शान होती है।
कभी रुक कर चलने में ही,
शान होती है।
कभी यूँ ही उलझ जाते हैं,
मंजिल की होड़ में।
थोड़ा भटक कर सम्भलने में,
शान होती है।
– मनीषा कुमारी