बहोत दूर है जिंदगी,
जो रोती बहोत है।
जिंदगी चलती बहोत है,
पीछे हटती बहोत है।
खो गया हो कुछ जैसे,
जिंदगी उदास बहोत है।
– मनीषा कुमारी
बहोत दूर है जिंदगी,
जो रोती बहोत है।
जिंदगी चलती बहोत है,
पीछे हटती बहोत है।
खो गया हो कुछ जैसे,
जिंदगी उदास बहोत है।
– मनीषा कुमारी
चिड़ियों की धुन
और बारिश की बूंद
दोनों ही सुकून भरी।
ये हरि सी हरियाली और
छायों से भरा अम्बर,
किसी किसी की ही
ये पसंद बनी।
तो किसी को इनसे,
कीचड़ की शिकायत है
और किसी को इनसे
पकवानों की इंतजार।
लगता है जैसे ये है
सावन की बहार।
– मनीषा कुमारी
बुरा वक्त चाहे
कितना भी बुरा हो
लेकिन माँ-बाप कभी
साथ नही छोड़ते।
ऊपर वाला भी बड़ा
मेहरबान रहता है,
उस वक्त जिस वक्त
किसी के माँ-बाप
साथ नही रहते।
– मनीषा कुमारी