चिड़ियों की धुन
और बारिश की बूंद
दोनों ही सुकून भरी।
ये हरि सी हरियाली और
छायों से भरा अम्बर,
किसी किसी की ही
ये पसंद बनी।
तो किसी को इनसे,
कीचड़ की शिकायत है
और किसी को इनसे
पकवानों की इंतजार।
लगता है जैसे ये है
सावन की बहार।
– मनीषा कुमारी
चिड़ियों की धुन
और बारिश की बूंद
दोनों ही सुकून भरी।
ये हरि सी हरियाली और
छायों से भरा अम्बर,
किसी किसी की ही
ये पसंद बनी।
तो किसी को इनसे,
कीचड़ की शिकायत है
और किसी को इनसे
पकवानों की इंतजार।
लगता है जैसे ये है
सावन की बहार।
– मनीषा कुमारी
वो बचपन की बातें,
वो बचपन की यादें।
अच्छी हो या बुरी,
वो सारी बातें।
याद आती है,
वो हर किस्से।
बचपन बीता बुरा या अच्छा
बचपन सबको प्यारा है।
हर अच्छी बुरी यादों का
मिलता यँहा मेला है।
– मनीषा कुमारी
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भरोसा तो किसी पे नही मुझे
लेकिन भरोसे करने की,
मजबूरी बहोत है।
चाहती तो कुछ भी नही
किसी से लेकिन,
मजबूरी बहोत है।
परेशान तो हूँ, हर किसी से
लिकेन परेशान होने की,
मजबूरी बहोत है।
चले तो जाते कबका
इस दुनिया से लेकिन,
रुकने की मजबूरी बहोत है।
– मनीषा कुमारी
बुरा वक्त चाहे
कितना भी बुरा हो
लेकिन माँ-बाप कभी
साथ नही छोड़ते।
ऊपर वाला भी बड़ा
मेहरबान रहता है,
उस वक्त जिस वक्त
किसी के माँ-बाप
साथ नही रहते।
– मनीषा कुमारी
कैसी है ये दुनिया
कैसा है ये मानव
नफरत से नफरत की आग में,
सारे हैं अभिमान में,
जान के ये दुनिया की रीत,
झुलस रहे नफरत की आग में।
धन दोलत तो है ही वजह,
बिन वजह भी नफरत है छाई।
– मनीषा कुमारी
जिनकी खुद की जिंदगी का कुछ पता नही,
वे हमें जिंदगी जीना सीखा रहे ।
जो खुद न बोल पाते एक शब्द सही से ,
वो हमे बोलना सीखा रहे।
दूसरों का मज़ाक उड़ाने वालों ,
तुम खुद एक मज़ाक ही हो।
– मनीषा कुमारी
चिंता खुशी को
खुशी चिंता को
परेशान करती है ।
फिर भी ,रहती संग संग
दोस्ती इनकी निराली है ।
जमाना करता दूर इन्हें
फिर भी ,साथ रहने की इन्होंने ठानी है ।
– मनीषा कुमारी