दूसरों की बातों पे,
आना आसान है।
कभी खुद से
कुछ सोंच के देखो,
कभी खुदसे
किसी के बारे में जान के देखो।
बिना तालाब में डूबे,
तालाब की गहराई का
पता नहीं लगता।
बिना फल खाये,
फल का स्वाद पता नहीं चलता।
यहाँ नेता कैसा है,
वो चुनाव के बाद पता चलता है
और लोग
किसी रेहन सहन के तरीके से ही
किसी का चरित्र भाँपने लगते हैं।
– मनीषा कुमारी