नारी डर की सूरत नही,
सम्मान का जो पाठ पढ़ाये,
वैसी वो एक गुरु है।
कर्तव्ये से न भटको कभी,
ऐसा स्त्रियों ने सिखाया है।
– मनीषा कुमारी
नारी डर की सूरत नही,
सम्मान का जो पाठ पढ़ाये,
वैसी वो एक गुरु है।
कर्तव्ये से न भटको कभी,
ऐसा स्त्रियों ने सिखाया है।
– मनीषा कुमारी
स्त्री एक पहचान,
उसे शक्ति का वरदान है,
वो खुद में ही महान है,
विश्वाश का सूत्र है,
वो रिश्तों का डोर है,
कमज़ोर का सहारा,
समझदारी की मूरत है।
– मनीषा कुमारी
ये आसमाँ अकेला,
सूरज अकेला है,
चाँद अकेला है,
दुनिया में हर कुछ एकलौता है,
बस जी रहे उम्मीद में,
की उनके पास काम है,
नही तो बिन काज,
लगते दुनिया से बेकार हैं।
– मनीषा कुमारी
वाह! कम होती दुनिया बहोत है,
लोग कहते जीवन में,
मिठास थोड़ी कम है।
थोड़ी सी परेशानी से,
दुनिया बदल जाती है।
खुद को बदलने से,
वो कुछ बदल जाते हैं।
कुछ कहने से अच्छा,
लोग कहते हैं,
वाह! कम होती दुनिया बहोत है।
– मनीषा कुमारी
कभी कलम मुझे लिखती है,
कभी मैं कलम से लिखती हूँ।
हर बात जानती वो भी है,
हर बात जानती मैं भी हूँ।
दुनिया की हर खुशी कम है,
उसके सामने,
जब सामने कागज़,
और हाँथ में कलम हो।
– मनीषा कुमारी
विजेता घोषित होने पर
जैसा भी लगे,
बस कवि सफल बन जाये।
शब्दों के धनी हो,
और लेखन की हर कला हमे आजाये।
विजेता घोषित होने पर जैसा भी लगे,
बस कवि सफल बन जाये।
दिल की बात को यूँ सामने रखे,
भले दिल से आह निकले,
हमेशा हमे वाह वाह सुनाई दे।
– मनीषा कुमारी
इच्छाओं की बोली,
लगती रही।
मन की हवा से,
वो चलती रही।
इच्छाओं के बोझ तले,
दब गया शरीर।
तब ध्यान हुआ,
कैसा है शरीर।
– मनीषा कुमारी
गलती कर बैठे हो,
तो उसे सुधारना सीखो।
गलतियों में बांध के खुद को,
यूँ न को घसीटो।
गलती कर बैठे हो,
तो उसे सुधारना सीखो।
– मनीषा कुमारी
पाना खोना चलता रहेगा,
जीना मरना चलता रहेगा।
जीवन के इस दौड़ में,
मिलना बिछड़ना चलता रहेगा।
देखा कई खाब हमने,
सबको अब सँवारना पड़ेगा।
सब कुछ तो किया हमने,
बस थोड़ा और करना पड़ेगा।
जीवन के इस दौड़ में,
मिलना बिछड़ना चलता रहेगा।
– मनीषा कुमारी
राजनीति दुनिया,
जैसे समुन्द्र का ज्वार,
कभी कुर्सी का ज्वर।
बने बातों की पिचकारी से,
राजनीतिक दल।
कभी कुछ शब्द से,
हमे खुश करते हैं,
पल में ही कभी,
रुला दिया करते हैं।
सास बहू के सीरियल सी,
हो गयी है,
राजनीति की ये दुनिया।
– मनीषा कुमारी