नाखूनों को देख तकदीर बताते हो,
खुद पैसे खाते हो,
लालची हमे बताते हो।
– मनीषा कुमारी
नाखूनों को देख तकदीर बताते हो,
खुद पैसे खाते हो,
लालची हमे बताते हो।
– मनीषा कुमारी
जिसकी जैसी सोंच है,
वो वैसा ही सोंचेगा।
तुम लाख सफाई देदो,
वो तुम्हे बुरा ही समझेंगे।
– मनीषा कुमारी
खुद का दर्द,
खुद से बेहतर,
कोई जान ही नही सकता।
कितना भी कुछ कहे,
कोई मान ही नही सकता।
– मनीषा कुमारी
बात तो कुछ भी न थी,
लेकिन बात कर ली,
कुछ कहना तो न था,
फिर भी बहोत कुछ कह गए,
कभी – कभी हमारे शब्द हम नही,
हमसे भगवान बुलवाते हैं।
– मनीषा कुमारी
खुशी वो भाव है,
जिसे व्येक्त करना मुश्किल है,
उसके लिए शब्द मिलना मुश्किल है,
उसे जाहिर करना मुश्किल है।
कभी तो पहचानना मुश्किल है,
कभी कभी तो इसे समझना मुश्किल है।
– मनीषा कुमारी
मुझे माफ़ कर जिंदगी,
तुझे परेशान बहोत किया।
कभी सताया,
कभी याद बहोत किया,
कभी तुझे जाना,
कभी तुझे नाराज़ बहोत किया,
फिर भी दी तूने,
शब्दों की सीख हमे।
माफ कर जिंदगी,
तुझे परेशान बहोत किया।
– मनीषा कुमारी
जरूर किसी अनुशाशन प्रिय ने,
शुरू किया ये,
रुमाल का दौर,
भले छोटा हो इसका आकार,
इसके काम के हैं कई प्रकार।
कभी बीमारों के काम आए,
कभी रोते लोगों को चुपाये,
कभी बच्चों का खेल बन जाये।
भले छोटा हो इसका आकार,
काम आए सभी को हर बार।
– मनीषा कुमारी
जो अपने पास है नही,
उसकी चाहत करते हो।
जो तुम्हारे पास है,
उससे क्यों दूर जाते हो,
आज पास है तो कदर करो।
कल किसी ने देखा नहीं तो,
कल के लिये क्यों रोते हो।
जो अपने पास है नही,
उसकी चाहत क्यों करते हो।
जो तुम्हारे पास है,
उससे क्यों डर जाते हो।
– मनीषा कुमारी
लेखक की नजर से देखो,
तो कलम भी एक दोस्त नज़र आती है।
वरना दुनिया की नजर से तो,
पत्थर भी इंसान नज़र आते हैं।
– मनीषा कुमारी
खुद को जानने में,
सब कुछ भुला दो।
खुद को पहचानने में,
कोई देरी न करो।
खुद के साथ वक्त बिताना भी,
बहोत अच्छा होता है।
कभी कभी,
खुद के लिए कुछ करना भी,
अच्छा होता है।
भले खुद को जानने में,
सब कुछ भुला दो,
लेकिन खुद के लिए कुछ करना भी,
अच्छा होता है।
– मनीषा कुमारी