नाज़ुक दौर तो सबका होता है,
उससे गुज़र सबको
आगे बढ़ना पड़ता है।
कोई आगे बढ़ जाता है,
तो कोई पीछे छूट जाता है।
जाने कोई क्यों,
कुछ चीजों से
उभर ही नहीं पाता है।
कभी हँसता है,
तो कभी रोता है।
कोई तो, दुनिया को
हर नज़र से देखते हैं
कुछ तो एक ही पल में
हार मान जाते हैं।
दुनिया उतनी छोटी नहीं
जितनी जल्दी लोग
हार मानते हैं।
एक बार प्रकृति के बारे में
जानना शुरू करो
देखना हार मानना भूल जाओगे।
– मनीषा कुमारी