मन मानी वो करती रही,
काम अपना निकलती रही।
काम हो जाने पर,
गायब हुई कहीं।
फिर से मिली कहीं,
भटकते भटकते।
पूछा जब हाल चाल,
पहचान हमारी भूल गई।
जब पड़ी मुसीबत फिर से उसपे,
याद हमारी आ गई,
अब पुकारा उसने हमे।
और हमने उनकी तरफ
देखा भी नहीं।
– मनीषा कुमारी
मन मानी वो करती रही,
काम अपना निकलती रही।
काम हो जाने पर,
गायब हुई कहीं।
फिर से मिली कहीं,
भटकते भटकते।
पूछा जब हाल चाल,
पहचान हमारी भूल गई।
जब पड़ी मुसीबत फिर से उसपे,
याद हमारी आ गई,
अब पुकारा उसने हमे।
और हमने उनकी तरफ
देखा भी नहीं।
– मनीषा कुमारी
दोस्ती हमारी पुरानी है,
सोने सी चमक ये देती है,
हीरों से अनमोल रिश्ता है,
लोगों को जो लगता है लगे
हमे हमेशा साथ रहना है।
दुनिया बिखरती है,
तो बिखरने दो
तुम साथ हो तो
हर मुश्किल कम लगती है
सच है कि दोस्ती अनमोल होती है।
– मनीषा कुमारी
नकल करनी थी तुम्हे,
जो तुमने अच्छे सी की।
अब जिंदगी की नकल उतारोगे,
जिंदगी का भी अंत होता है।
तब ये नकल भी बंद होगा
नकल तुमने की थी
आगे बढ़ने के लिए
वही नकल तुम्हे,
पीछे कर देगी।
जो लोग तुम्हे आज
नकल के लिए हैं उकसाते,
वही अंत में तुम्हें
कोसते नज़र आएंगे।
बिखर जाओगे तुम
जब अपनों को ही
तुमसे मुँह फेरा देखोगे।
– मनीषा कुमारी
किसी के दिल से
निकल जाना ही सही
जब किसी के दिल में
भीड़ ज़्यादा हो
वर्ना खुद निकाल देते हैं
वो लोग उन्हें, जिन्हें
तुमसे ज्यादा, मतलब की
भीड़ पसंद हो।
– मनीषा कुमारी
इस बात से तो,
हम भी नाराज़ हैं।
जिस बात से तुम,
नाराज़ हो।
बस कुछ शब्दों ने,
बाँध रखा है।
वर्ना हम भी,
कब का तुम्हे छोड़ जाते।
– मनीषा कुमारी
वो बचपन की बातें,
वो बचपन की यादें।
अच्छी हो या बुरी,
वो सारी बातें।
याद आती है,
वो हर किस्से।
बचपन बीता बुरा या अच्छा
बचपन सबको प्यारा है।
हर अच्छी बुरी यादों का
मिलता यँहा मेला है।
– मनीषा कुमारी
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