ये आसमाँ अकेला,
सूरज अकेला है,
चाँद अकेला है,
दुनिया में हर कुछ एकलौता है,
बस जी रहे उम्मीद में,
की उनके पास काम है,
नही तो बिन काज,
लगते दुनिया से बेकार हैं।
– मनीषा कुमारी
ये आसमाँ अकेला,
सूरज अकेला है,
चाँद अकेला है,
दुनिया में हर कुछ एकलौता है,
बस जी रहे उम्मीद में,
की उनके पास काम है,
नही तो बिन काज,
लगते दुनिया से बेकार हैं।
– मनीषा कुमारी
तारीफ के मोहताज वो कुछ इस तरह हुए,
हमे देखने के लिए वो कुछ बे वक्त से हुए।
– मनीषा कुमारी
वाह! कम होती दुनिया बहोत है,
लोग कहते जीवन में,
मिठास थोड़ी कम है।
थोड़ी सी परेशानी से,
दुनिया बदल जाती है।
खुद को बदलने से,
वो कुछ बदल जाते हैं।
कुछ कहने से अच्छा,
लोग कहते हैं,
वाह! कम होती दुनिया बहोत है।
– मनीषा कुमारी
कभी कलम मुझे लिखती है,
कभी मैं कलम से लिखती हूँ।
हर बात जानती वो भी है,
हर बात जानती मैं भी हूँ।
दुनिया की हर खुशी कम है,
उसके सामने,
जब सामने कागज़,
और हाँथ में कलम हो।
– मनीषा कुमारी
विशेष क्षण तो हर दिन हर पल होता है,
क्योंकि हर पल कमाल होता है,
हर विषय पे लिखना खास होता है,
बातों में भले कम हैं,
लेकिन लिखना कुछ खास होता है,
इसलिए हर क्षण हमारे लिए खास होता है।
– मनीषा कुमारी
वो देखो क्या आ रहा,
ये तो मुश्किलों पहाड़ चल रहा।
बचो छिपो न पास इसके,
कहीं तुम्हे आंधी में उड़ा न ले जाय।
लेकिन ये केस शोर है,
रोता कोई जोर से,
मुश्किलें आँसू बहाती,
रोती है जोर से,
की माँगता खुद मुझे,
खुद ही मुझसे छिप रहा।
– मनीषा कुमारी
विजेता घोषित होने पर
जैसा भी लगे,
बस कवि सफल बन जाये।
शब्दों के धनी हो,
और लेखन की हर कला हमे आजाये।
विजेता घोषित होने पर जैसा भी लगे,
बस कवि सफल बन जाये।
दिल की बात को यूँ सामने रखे,
भले दिल से आह निकले,
हमेशा हमे वाह वाह सुनाई दे।
– मनीषा कुमारी
हर कला की पृष्ठभूमि,
कला का सार बता देती है।
कैसी है किसी के मन की अभिलाषा,
ये कई राज खोल देती है।
हर लेखक के दिल की,
आवाज़ सुना देती है।
ये हर मंच की,
हर कहानी कह जाती है।
– मनीषा कुमारी
उदासी कम नही होत,
आँखों की नमी,
कभी खत्म नही होती।
आँखों की तकलीफें ,
सिर्फ दिल जानता है।
इंसान तो खुद के ही,
आँखों की नमी से अनजान रहता है।
– मनीषा कुमारी
मार्च का महीना,
जैसे रंगों की कली,
फूलों से भरी।
किसी के लिए ये माह,
परेशानी है लाता,
परीक्षाओं की बाढ़ में,
इनको डुबाता।
कोई कहीं रंगों में है डूबा,
किसी की नई शुरुआत है होती,
जिंदगी में कोई और है आता।
– मनीषा कुमारी