ये कैसी बहार आयी है,
पतझड़ का मौसम लायी है
पतझड़ छोड़ अब,
नए पत्तों की बारी आई है
रंगीले फूलों से
हर बागीचा सजाई है,
इस बहार से अब,
हर दिशा महक आयी है।
– मनीषा कुमारी
ये कैसी बहार आयी है,
पतझड़ का मौसम लायी है
पतझड़ छोड़ अब,
नए पत्तों की बारी आई है
रंगीले फूलों से
हर बागीचा सजाई है,
इस बहार से अब,
हर दिशा महक आयी है।
– मनीषा कुमारी