दुपट्टे को क्या कहूँ,
ये तो है हथियार नया।
कभी बन जाता है, औज़ार मेरा
कभी श्रृंगार का सामान है,
कभी खुद की पहचान है,
कभी खुद का सम्मान है,
कभी खेलने की चीज़ नई,
कभी बढ़ता इससे,
आत्मसम्मान है।
– मनीषा कुमारी
दुपट्टे को क्या कहूँ,
ये तो है हथियार नया।
कभी बन जाता है, औज़ार मेरा
कभी श्रृंगार का सामान है,
कभी खुद की पहचान है,
कभी खुद का सम्मान है,
कभी खेलने की चीज़ नई,
कभी बढ़ता इससे,
आत्मसम्मान है।
– मनीषा कुमारी
One reply on “दुपट्टा”
वाह दुपट्टा, एक सामान्य सी चीज को आपने सही पहचान दी, धन्यवाद 🙏🙏
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