परेशानियाँ नहीं थी वजह,
लिखने की।
लेकिन श्रेय,
परेशानियों को देती रही।
ढूंढ – ढूंढ के परेशान होती रही,
परेशानियों को।
कला खुद में थी,
और भटकती रही,
दुख की गलियों में।
चार साल में अब समझी,
की भावनाएँ दिल का खिलौना है।
जब चाहे जैसे चाहे
भावों को डालो।
चाहो तो हर पल खुश रहलो
और चाहो तो,
हर वक्त दुख के सागर में डुबो।
– मनीषा कुमारी
2 replies on “परेशानियाँ नहीं थी वजह….”
Bilkul sahi baat 👏
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बहुत धन्यवाद आपका
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