चार चीजें जिंदगी की
हर जीवन में है,
आती जाती
खुशी, गम, प्यार और नफरत।
खुशी और गम गुरु हैं,
जिंदगी के पाठशाला की
प्यार और नफरत
तो हैं सार जिंदगी की।
ज़्यादा हो जाये,
तो जिंदगी बुरी है।
मध्यम हो,
तो मीठी है जिंदगी।
बस ये चार शब्द
हर किसी को हैं घेरते,
कभी मुँह फेरते,
कभी गले लगाते।
आते जाते हर रास्ते।
परीक्षा लेते हर तरह के
कभी मुश्किल में डालते
कभी आगे बढ़ाते।
दिखाते हैं हर रास्ते
बस ये चार शब्द
कभी मुँह फेरते
कभी गले लगाते।
– मनीषा कुमारी
3 replies on “कभी मुँह फेरते, कभी गले लगाते….”
Waah, bahut sundar kavita 👌
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Thanku
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You’re welcome! Keep writing and stay connected 😊
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