जीने की उम्मीद में
जीते हैं सभी
सीखने के उम्मीद में
सीखते हैं सभी
फूल हर वक्त खिलता नहीं
कम भोजन से मुरझाते हैं सभी
जैसे बच्चा
कुछ देर खेलते ही थक है जाता
मनोदशा का भी
कुछ ऐसा है रिश्ता
जैसे बातों की गोद में
खेलता बच्चा।
– मनीषा कुमारी
जीने की उम्मीद में
जीते हैं सभी
सीखने के उम्मीद में
सीखते हैं सभी
फूल हर वक्त खिलता नहीं
कम भोजन से मुरझाते हैं सभी
जैसे बच्चा
कुछ देर खेलते ही थक है जाता
मनोदशा का भी
कुछ ऐसा है रिश्ता
जैसे बातों की गोद में
खेलता बच्चा।
– मनीषा कुमारी
2 replies on “जीने की उम्मीद में…”
अति सुंदर 👌
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धन्यवाद
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