करना बहुत कुछ है,
बस मन नहीं करता।
वक्त तो बहुत है,
लेकिन कुछ समझ नहीं आता।
तुम हम पर दोष लगाते हो,
लेकिन कभी तुमने भी तो,
कभी हमारे कर्म को नहीं देखा।
हमने जो भी किया,
तुमने कभी ध्यान नहीं दिया।
मेहनत रख दी तुम्हारे सामने,
और तुमने हमेशा नज़र अंदाज़ किया।
सही को तुमने जब गलत कहा,
हमने वो भी मान लिया।
हम आलसी नहीं,
बस खुद से ही नाराज़ हैं।
कामचोर नहीं हम तो
खुद में परेशान हैं।
– मनीषा कुमारी