हर कहानी के पीछे
एक राज़ है,
अपनी कहानी में,
हम ही नज़रअंदाज़ हैं।
सोने से मन को
पीतल ठहरा दिया,
चांदी सा मन,
अब सोना हो गया।
हर कहानी में हर कोई,
अजूबा हो गया।
केहने को बारिश ,
यहाँ तूफाँ आ गया।
किसी की जिंदगी,
बातों से तय हो गयी।
कुछ को तो,
मगरमच्छ पे तरस आ गया।
पेंगुइन तो यूँ ही बदनाम हो गया,
केहने को कहानी,
यहाँ पूरा चलचित्र बन गया।
– मनीषा कुमारी