अहंकार दुश्मन है सबका
हंसी रोकने का ज़रिया वो है।
खुद से ये कभी मिलने नहीं देता,
एक ही वाक्य को है दोहराता।
मैं हूँ, मैं ही हूँ, बस मैं ही हूँ,
बस इसी की वो रट लगाता।
वो अहंकार ही है,
जिसने कई राक्षशों को मारा
ये खुदसे किसी को मिलने नहीं देता।
– मनीषा कुमारी