खुशियों का मोहल्ला,
खुशियों से सजा था।
घूमने को उसमें,
हर महल सजा था।
कुछ ही पल को,
वो मोहल्ला दिखा था।
खुशियों की गाड़ी को,
अब अलविदा कहना था।
– मनीषा कुमारी
खुशियों का मोहल्ला,
खुशियों से सजा था।
घूमने को उसमें,
हर महल सजा था।
कुछ ही पल को,
वो मोहल्ला दिखा था।
खुशियों की गाड़ी को,
अब अलविदा कहना था।
– मनीषा कुमारी