शायद सच नही मेरा सच,
लेकिन कहने में कैसा खर्च।
लोगों की बातें,
लोगों की सोंच होती है।
हम कुछ भी कहे,
उनको गलत ही सोंचना होता है।
– मनीषा कुमारी
शायद सच नही मेरा सच,
लेकिन कहने में कैसा खर्च।
लोगों की बातें,
लोगों की सोंच होती है।
हम कुछ भी कहे,
उनको गलत ही सोंचना होता है।
– मनीषा कुमारी