जरूर किसी अनुशाशन प्रिय ने,
शुरू किया ये,
रुमाल का दौर,
भले छोटा हो इसका आकार,
इसके काम के हैं कई प्रकार।
कभी बीमारों के काम आए,
कभी रोते लोगों को चुपाये,
कभी बच्चों का खेल बन जाये।
भले छोटा हो इसका आकार,
काम आए सभी को हर बार।
– मनीषा कुमारी
जरूर किसी अनुशाशन प्रिय ने,
शुरू किया ये,
रुमाल का दौर,
भले छोटा हो इसका आकार,
इसके काम के हैं कई प्रकार।
कभी बीमारों के काम आए,
कभी रोते लोगों को चुपाये,
कभी बच्चों का खेल बन जाये।
भले छोटा हो इसका आकार,
काम आए सभी को हर बार।
– मनीषा कुमारी