कभी कलम मुझे लिखती है,
कभी मैं कलम से लिखती हूँ।
हर बात जानती वो भी है,
हर बात जानती मैं भी हूँ।
दुनिया की हर खुशी कम है,
उसके सामने,
जब सामने कागज़,
और हाँथ में कलम हो।
– मनीषा कुमारी
कभी कलम मुझे लिखती है,
कभी मैं कलम से लिखती हूँ।
हर बात जानती वो भी है,
हर बात जानती मैं भी हूँ।
दुनिया की हर खुशी कम है,
उसके सामने,
जब सामने कागज़,
और हाँथ में कलम हो।
– मनीषा कुमारी