कभी हाथों की रेखा
कभी जीवन की रेखा
दुनिया कहे उन्हें है
रेखाओं के ज्ञान
रेखाओं से परे
ध्यान में है शान
हर कोई मर रहा
ढूंढता अपना मान
बैठे बिठाए चाहिए सबको
यहां सोने खान
– मनीषा कुमारी
कभी हाथों की रेखा
कभी जीवन की रेखा
दुनिया कहे उन्हें है
रेखाओं के ज्ञान
रेखाओं से परे
ध्यान में है शान
हर कोई मर रहा
ढूंढता अपना मान
बैठे बिठाए चाहिए सबको
यहां सोने खान
– मनीषा कुमारी
One reply on “जीवन रेखा”
बहुत खुब, सही बात है। सबको अपने कार्य के अवेज मैं हैसियत से ज्यादा चाहिए!!!
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