सपने बनने को हज़ार बन जाते हैं,
पूरे करते करते पसीने छूट जाते हैं।
एक सपना होता नही पूरा,
दूसरे सपने के, पूरे होने की चाह है।
आज का नही हर पल का है,
अब तो हर किसीका का है,
ये सपनों का संकट।
– मनीषा कुमारी
सपने बनने को हज़ार बन जाते हैं,
पूरे करते करते पसीने छूट जाते हैं।
एक सपना होता नही पूरा,
दूसरे सपने के, पूरे होने की चाह है।
आज का नही हर पल का है,
अब तो हर किसीका का है,
ये सपनों का संकट।
– मनीषा कुमारी