कुछ कहना, लिखना,
सिर्फ क्रिया नही,
भावनाएँ हैं दिल की।
बात से बात की,
जुड़ती है पहेली।
हर दिन हर पल,
एक बात है कहती।
मुझे लिखो मुझे सुनाओ,
मुझे भावनाओं में गढ़ते जाओ।
बार बार ये पुकार के कहती,
जानती नही में सारी बातें,
फिर भी कुछ कहना हूँ चाहती।
– मनीषा कुमारी