तू है शाम मेरी,
तू है रात मेरी,
तू जग का सूरज,
तू चाँद मेरी।
तू है बारिश की बूँद नई,
तू कोहरे की पेहली चादर है,
तू ओस की हल्की बूँदे है,
तू मीठा एहसास है,
तू पौधों में खास है।
ये फूलों की बात है,
ये उससे भी खास है।
– मनीषा कुमारी
तू है शाम मेरी,
तू है रात मेरी,
तू जग का सूरज,
तू चाँद मेरी।
तू है बारिश की बूँद नई,
तू कोहरे की पेहली चादर है,
तू ओस की हल्की बूँदे है,
तू मीठा एहसास है,
तू पौधों में खास है।
ये फूलों की बात है,
ये उससे भी खास है।
– मनीषा कुमारी