ख्वाइशों की दुनिया में
ख्वाइशें बहोत है
ख्वाइशों बिना अकेलापन बहोत है।
ख्वाइशों की दुनिया में
अक्सर लोग अकेले हैं।
जान पहचान कोई नही
जाना आगे बहोत है।
सोंचती हूँ कहीं
खो न जाऊ
फिर याद आया
मरना भी अकेले है।
– मनीषा कुमारी
ख्वाइशों की दुनिया में
ख्वाइशें बहोत है
ख्वाइशों बिना अकेलापन बहोत है।
ख्वाइशों की दुनिया में
अक्सर लोग अकेले हैं।
जान पहचान कोई नही
जाना आगे बहोत है।
सोंचती हूँ कहीं
खो न जाऊ
फिर याद आया
मरना भी अकेले है।
– मनीषा कुमारी