कुदरत का करिश्मा देखो उसमे कितनी खूबसूरती होती है। उसकी खूबसूरती और महक को जब हम अनुभव करते है तो उसमें हम पूरी तरह से खो जाते है, साँसों के अंदर ठंडक आ जाती है। जी करता है इनके ही बीच बैठ कर कुछ वक्त गुजारा जाय।

कुदरत तो सौंदर्य से भरी है ही परंतु इसने जो हमारी मदद की है उसे भी हम नही भूल सकते और न भूलेंगे। कुदरत आने वाले समय मे भी हमारे लिए वरदान बना हुआ है इस बात से तो हम बिल्कुल भी मुँह नही फेर सकते। अपने सिर से लेकर पेर तक की जरूरतें हम इसी से ही पूरी करते है। भले ही बात हो अपने स्वास्थ्य की या फिर पहनने, खाने की या और कोई जरूरत हम प्रकृति से ही प्राप्त करते है।
इसने तो कला, विज्ञान, वाणिज्य जैसे क्षेत्रों में भी कामयाबी पा ली है। प्रकृति के कई सिद्धान्तों को समझने के बाद ही विज्ञान के सिद्धांत बने है। परन्तु आज कल लोगों के अंदर प्रकृति के प्रति मूल्य घटता जा रहा है। लोग प्रकृति के मूल्य को भूल से गए है। वे अपने फायदे के लिए प्रकृति को पूरी तरह नष्ट करने में लगे हैं। इसमें वे प्रकृति से अपनी जरूरतों को तो पूरा कर लेता परंतु साथ ही साथ वहाँ पर अपनी छाप भी छोड़ देते है। जिसका परिणाम ये प्रदूषण हैं। इसका परिणाम हम हर छोटे बड़े शहरों में देख सकते हैं। अगर प्रकृति से हमे इतना कुछ प्राप्त हो सकता है तो हमे भी प्रकृति को इसके बदले कुछ देना चाहिए जैसे पेड़ – पौधे, पशु- पक्षियों का संरक्षण करके और साफ सफाई करके हम प्रकृति को धन्यवाद कर सकते है। साथ ही नए पौधे भी लगाए जा सकते है जिससे ग्लोबल वार्मिंग जैसे परेशानी को दूर किया जा सकता है।