शायर हम नही ,
यह जिंदगी बनाती है ।
कवियों को कवि ,
यह हालात बनाती है।
तकदीर बदलती मुसीबतें,
यह सांप सीढ़ी का खेल है।
जाने अनजाने में ,
खेल जाती कई दाव है।
क्या कहे सुख दुख को
यही जिंदगी कहलाती है।
– मनीषा कुमारी
शायर हम नही ,
यह जिंदगी बनाती है ।
कवियों को कवि ,
यह हालात बनाती है।
तकदीर बदलती मुसीबतें,
यह सांप सीढ़ी का खेल है।
जाने अनजाने में ,
खेल जाती कई दाव है।
क्या कहे सुख दुख को
यही जिंदगी कहलाती है।
– मनीषा कुमारी