प्रकृति से बड़ा न कोई !
इसी के बदोलत खड़े हम शीश पर
इसी ने दिया हमे जीवन दान |
प्रकृति देती हमे हर समस्या का समाधान
देकर हमे फल, जल और जरीबूटीयाँ
करती हमारा रोग निदान,
प्रकृति सीखाती आगे बढ़ना
सफलता की राह में चलते जाना
जिस प्रकार एक पौधा है उगता उसी
प्रकार पाना सफलता |
जिस प्रकार जल जैसी कोमल चीज़
तोड़ देती पत्थर की जंजीर
उसी प्रकार पाना सफलता |
प्रकृति के बीन हम रह नहीं सकते
जैसे पानी बीन मछली
परंतु आधुनीक मनुष्य कर रहा
प्रकृति को दूषीत
जिससे उसने अपने लिए खोदा गढ़ा
कर दूषीत जल, स्थल और वायुमंडल सारा |